Wednesday, 30 September 2015

धान की खेती में जैव उर्वरक और प्रजाति और कितना बीज आदि के ऊपर कुछ सवाल

1- प्रश्न- धान की खेती में कौन से जैव उर्वरक का प्रयोग उपयोगी है। उत्तर- पी0एस0बी0, नील हरित शैवाल तथा एजोला जैसे जैव उर्वरक अधिक उपयोगी होते है। 2- प्रश्न- जैव उर्वरक के प्रयोग में क्या करें, जिससे अधिक लाभ हो। उत्तर- रासायनिक उर्वरकों के साथ जैव उर्वरक का प्रयोग न करें तथा प्रयोग की एक्सपायरी तिथि के बाद अधिक लाभ नहीं मिलता है। 3- प्रश्न- धान के बुवाई के लिए एस0आर0आई0 विधि क्या है उत्तर- अधिक उत्पादन प्राप्त करने की विधि है जिसमें नर्सरी से कम समय (10 दिन में) के पौध की रोपाई 25ग्25 सेमी की दूरी पर एक ही पौधा रोपकर की जाती है। 4- प्रश्न- ऊसर को कैसे सुधारे तथा ऊसरीली जमीन के लिए धान की प्रजाति बतायें। उत्तर- जिप्सम का प्रयोग सबसे उपयुक्त है। मिट्टी की जॉंच के बाद औसतन 150 से 250 कुन्तल प्रति हेक्टेयर जिप्सम का प्रयोग उपयोगी है। हरी खाद का प्रयोग भी लाभकारी है। 5- प्रश्न- जिप्सम की उपलब्धता कहॉ होगी तथा क्या इस पर छूट भी मिलती है। उत्तर- कृषि केन्द्रों, यू0पी0 एग्रो केन्द्र, पी0सी0एफ0 पर जिप्सम उपलब्ध है, उ0प्र0 सरकार द्वारा जिप्सम पर 90 प्रतिशत का अनुदान अनुमन्य है। 6- प्रश्न- संकर धान की प्रजाति के बारे में बताये। उत्तर- उ0प्र0 के लिए बेहतरीन संकर धान की प्रजाति है, पी0एच0बी0 71, नरेन्द्र संकर धान-2, प्रो एग्रो 6444 तथा पी0आर0एच0 10 7- प्रश्न- संकर धान में वेहन के लिए कितना बीज प्रयोग करें। उत्तर- 20 किग्रा0 बीज प्रति हेक्टेयर अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाए। 8- प्रश्न- अधिक धान उत्पादन के लिए क्या आवश्यक है। उत्तर- बीज शोधन, समय से रोपाई तथा सिंचाई। खेत की निगरानी आवश्यक है। जिससे रोग/कीट का पता लगता रहे। आरम्भ में ही रोकथाम आवश्यक है। 9- प्रश्न- धान में जस्ते का प्रयोग कब और कैसे करें। उत्तर- औसतन 5 किग्रा जिंक सल्फेट 21 फीसदी का 20 किग्रा यूरिया के साथ मिलाकर लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव अधिक लाभदायी है। 10- प्रश्न- उर्वरकों के प्रयोग में क्या सावधानी बरतें। उत्तर- किसी भी खेत/फसल में जिंक सल्फेट तथा डी0ए0पी0 का प्रयोग एक साथ नहीं करना चाहिए। यूरिया का प्रयोग दो या तीन बार में लाभकारी है। 11- प्रश्न- संकर धान का बीज अगले वर्ष के लिए रख सकते हे। उत्तर- नहीं, संकर धान का बीज हर साल नया खरीदें। संकर धान का बीज एक बार ही बुवाई के लिए प्रयोग किया जाता है। 12- प्रश्न- संकर धान के बीज पर क्या कोई छूट अनुमन्य है। उत्तर- जी हॉं, एन0एफ0एस0एम0 योजना में संकर धान के बीज क्रय पर प्रति किलों रू0 60.00 की छूट अनुमन्य है। 13- प्रश्न- अरहर की कौन सी प्रजाति रोगरोधी है। उत्तर- बहार, नरेन्द्र अरहर-1, मालवीय चमत्कार उकठा एवं वकां अवरोधी जातियॉं है। 14- प्रश्न- अरहर के बीज का उपचार कैसे करें। उत्तर- एक किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम तथा एक ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें अथवा 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा+एक ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें लाभ होगा। 15- प्रश्न- अरहर में जैव उर्वरक का प्रयोग कैसे करें। उत्तर- एक पैकेट राइजोबियम कल्चर (200 ग्राम) 10 किग्रा बीज के उपचार के लिए प्रयोग करना चाहिए। 16- प्रश्न- अरहर की बुवाई कब करें। उत्तर- अरहर की प्रजातियॉं अलग-अलग समय पर की जाती है, किन्तु बहार आजाद, मालवीय की बुवाई जुताई के प्रथम सप्ताह में करें। 17- प्रश्न- अरहर में एकीकृत कीट प्रबन्धन कैसे करें। उत्तर- अरहर में जब शतप्रतिशत फूल बन जाये और फली बनने लगे उस समय मोनोक्रोटोफास 0.04 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें। द्वितीय छिड़काव के बाद निम्बोली का 5 प्रतिशत का घोल छिड़के। 18- प्रश्न- अरहर की फसल में यदि उकठा बार-बार हो रहा है तो क्या करें। उत्तर- जिस खेत में उकठा रोग का प्रकोप अधिक हो, उस खेत में 3-4 साल तक अरहर की फसल नहीं लेना चाहिए। 19- प्रश्न- अरहर में फलीबेधक से बचाव कैसे करें। उत्तर- फूल आने के बाद मोनोक्रोटोफास 36 ई0सी0 या डाइमेथियट 30 ई0सी0 का प्रयोग करें 20- प्रश्न- अरहर की अधिक उपज प्राप्त करनें में किस उर्वरक का महत्व है। उत्तर- अरहर के लिए सल्फर अधिक महत्वपूर्ण है अतः सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग अधिक लाभदायी होता है। 21- प्रश्न- सूत्रकृमि से कैसे बचाव करें। प्रायः पूरी फसल नष्ट हो जा रही है। उत्तर- जड़ों के पास से फसलें सूखने लगती है समझो सूत्रकृमि का प्रकोप है। इसका उपाय है गर्मी में गहरी जुताई। 22- प्रश्न- अरहर में सिंचाई क्या आवश्यक है। उत्तर- नमी की स्थिति को देखते हुए सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है वैसे फलियॉं बनने के समय अक्टूबर माह में सिंचाई अति आवश्यक है। 23- प्रश्न- नील गाय से अरहर को कैसे बनायें। उत्तर- गाय के ताजे गोबर मं लहसुन तथा मदार के रस को मिलाकर खेत के किनारे-किनारे छिड़काव कर नीलगाय को भगाया जा सकता है। 24- प्रश्न- मूंग की फसल में पत्तियों पर पीले चकत्ते पड़ जाते है क्या करें। उत्तर- यह एक रोग है जिसे पीला चित्रवर्ण कहते है तथा सफेद मक्खी से फेलता है। मक्खी को मारने के लिए डायमिथोएट 30 ई0सी0 1 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव प्रभावी होता है। 25- प्रश्न- मूंग की उन्नतशील प्रजाति बताएं। उत्तर- मालवीय जन प्रिया, पंत मूंग-4, पी0डी0एम0-11, नरेन्द्र मूंग-1 एवं टाइप-44 अच्छी प्रजातियॉं है। 26- प्रश्न- मूंग की फसल में यूरिया का प्रयोग कब करें। उत्तर- बुवाई के समय उर्वरकों का प्रयोग 15 किग्रा नत्रजन के रूप में करें तथा यूरिया का प्रयोग फली बनने के समय 2 प्रतिशत घोल के रूप में अधिक लाभकारी है। 27- प्रश्न- मूंग की फलीवेधक कीट से कैसे बचें। उत्तर- इण्डोसल्फॉंन (35 ई0सी0) या क्यूनालफॉंस 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। 28- प्रश्न- उ0प्र0 में मूंगफली का क्या सम्भावना है। क्या मध्य उ0प्रदेश इसके लिए उपयुक्त है। उत्तर- उ0प्र0 में भरपूर सम्भावनाएं है। मुख्य रूप से सीतापुर, हरदोई, बरेली, एटा, फरूखाबाद, खीरी, उन्नाव, बदायूं, मुरादाबाद में अच्छी खेती की जा सकती है। 29- प्रश्न- कौन सी प्रजाति अधिक उपज होगी। उत्तर- टाइप-64, टाइप-28, कौशल, चित्रा, अम्बर तथा प्रकाश अच्छी उपज वाली प्रजातियॉं है। 30- प्रश्न- मूंगफली के बीज उपचार हेतु किस रसायन का प्रयाग करें। उत्तर- बीज (गिरी) को थीरम 2.0 ग्राम और 1.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घुलन चूर्ण के मिश्रण से 2 किग्रा बीज शोधन करना चाहिए। 31- प्रश्न- मूंगफली में सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है कब करें। उत्तर- मूंगफली में दो सिंचाई अति आवश्यक है पहली जब पेगिंग हो तथा फली बनते समय। 32- प्रश्न- मूंगफली की खुदाई का बेहतर समय कब होता है। उत्तर- खुदाई फसल के पूर्ण पकने पर ही करना चाहिए, इससे दाना घटिया श्रेणी का नहीं होता है। 33- प्रश्न- मूंगफली के खेत में दीमक बहुत लगते है क्या उपाय करें। उत्तर- दीमक सूखे की स्थिति में जड़ों तथा फलियों को काटती है। इसके उपचार हेतु क्लोरोपायरीफॉंस 4 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। 34- प्रश्न- मूंगफली का टिक रोग अक्सर खेतों में लग रहा है उपाय बतायें। उत्तर- खड़ी फसल पर जिंक मैंगनीज कार्बानमेट 2 किग्रा या जिनेव 75 प्रतिश्ता घुलनशील चूर्ण का प्रयोग करें। टिक्का रोग जो पत्तियों पर दाग के रूप में आता है। नष्ट हो जायेगा। 35- प्रश्न- मूंगफली का टिक रोग अक्सर खेतों में लग रहा है उपाय बतायें। उत्तर- खड़ी फसल पर जिंक मैंगनीज कार्बानमेट 2 किग्रा या जिनेव 75 प्रतिश्ता घुलनशील चूर्ण का प्रयोग करें। टिक्का रोग जो पत्तियों पर दाग के रूप में आता है। नष्ट हो जायेगा। 36- प्रश्न- संकर मक्का की खेती के लिए कितना बीज प्रयोग करें। उत्तर- प्रति हेक्टेयर 18 किग्रा बीज उचित होता है। 37- प्रश्न- गंगा-2 ने अच्छी उपज नहीं दी क्या कारण हो सकते है। उत्तर- गंगा-2 एक संकर प्रजाति है। जिसकी बुवाई समय से करनी चाहिए तथा मक्का के खेत में जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए यदि पानी ोत में लगा रह जायेगा तो उपज गिर जायेगी। अधिक वृष्टि के कारण तथा जल निकास की अच्छी सुविधा न होने से उपज गिरी होगी। मृदा 38- प्रश्न- विगत कई वर्षो से धान-गेहूँ की खेती कर रहा हूँ। अनुभव में आ रहा है कि गेहूँ की उपज कम होती जा रही है। उत्तर- धान गेहूँ का फसल चक्र अधिक पोषक तत्व की मॉंग करता है। जिससे भूमि कमजोर हो जाती है। इसलिए गेहूँ की उपज कम हो रही है। अतः गेहूँ की कटाई के बाद तथा धान की रोपाई के पहले खेतों में हरी खाद का प्रयोग तथा औसतन 10 कुन्तल गोबर की खाद का प्रयोग करें। 39- प्रश्न- खेत बंजर की स्थिति में है कई वर्षो से कुछ भी नहीं होता है क्या करें। उत्तर- कृषि वानिकी अपनाएं। औषधीय पौधों की खेती कर सकते है। सरकार की तरफ से औषधीय खती पर प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत प्रशिक्षण भी दिया जाता है। 40- प्रश्न- खेत का रकबा कम है गुजर बसर नहीं हो पाता क्या करें। उत्तर- कृषि उद्यमिता अपनाएं। वर्मी कम्पोस्ट/नाडेप कम्पोस्ट तैयार कर बिक्री कर सकते है बहुंत मॉंग है। औद्यानिक एक सफल रास्ता है। उसे अपनाएं। 41- प्रश्न- हमारे जिले में आत्मा चल रही है। इससे कैसे लाभ पायें। उत्तर- अच्छी बात है कि आपको आत्मा की जानकारी है। आत्मा की परियोजनाओं पर जनपद के सभी किसानों का हक है। आप सीधे आत्मा सचिव से मिले तथा इच्छुक परियोजना से लाभ पायें। 42- प्रश्न- खेती एक घाटे का धंधा है, इसे लाभकारी कैसे बनाएं। उत्तर- सरल और सस्ता उपाय है। विविधीकरण को अपनाएॅं अर्थात अपने खेतों पर उद्यानिकी, मुर्गीपालन, पशुपालन, मधुमक्खीपालन तथा मशरूम की खेती आदि अपनाएं। 43- प्रश्न- खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी कौन सी होती है। उत्तर- दोमट मिट्टी में सभी प्रकार की फसलें अच्छी उपज देती है। 44- प्रश्न- स्वस्थ मृदा क्या है? उत्तर- स्वस्थ मृदा का मतलब है कि उसमें फसल उगाने की ताकत के साथ साथ आवश्यक पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा हो और नमी रोकन की क्षमता हो। 45- प्रश्न- मिट्टी में मुख्य पोषक तत्व कौन-कौन से है? उत्तर- मुख्य तत्व तीन होते है 1. नत्रजन, 2. फास्फोरस, 3. पोटाश। इन्हीं से उत्पादन में वृद्धि होती है। 46- प्रश्न- देशी खाद के प्रयोग से मुख्य लाभ क्या है ? उत्तर- मृदा स्वस्थ होती है तथा लम्बे समय तक उत्पादन मिलता रहता है। 47- प्रश्न- अच्छी देशी खाद कैसे बनायें ? उत्तर- नाडेप-विधि द्वारा, कम्पोस्ट के गड्ढे तैयार करके तथा वर्मीकम्पोस्ट तैयार कर देशी खाद उत्तम गुणवत्ता की तैयार कर सकते हैं ? 48- प्रश्न- सूक्ष्म-पोषक तत्व क्या है ? उत्तर- फसलों को जिन पोषक तत्वों की कम मात्रा (1 पीपीएम) की आवश्यकता होती है उसे सूक्ष्म पोषक तत्व कहते हैं जैसे - जिंक, लोहा, कॉंपर, बोरान एवं मैग्नीज, मालीबिडनम। 49- प्रश्न- क्या देशी खाद में सूक्ष्म पोषक तत्व पाये जाते है ? उत्तर- हॉं, देशी खाद में मुख्य पोषक तत्व के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाये जाते हैं। 50- प्रश्न- जिंक की कमी से क्या उत्पादन घटता है ? उत्तर- जिंक की कमी से पौधों की पत्तियों पर सफेद एवं भूरी धारियॉं दिखायी देती है। इसकी कमी से सभी फसलों का उत्पादन घट जाता है। 51- प्रश्न- जिंक की कमी को कैसे जाने ? उत्तर- किसी भी पोषक तत्व की जानकारी के लिए मिट्टी परीक्षण कराना अति आवश्यक है। पुरानी पत्तियों पर पीले-पीले धब्बे जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। 52- प्रश्न- अपनी मिट्टी पहचानों अभियान' क्या है ? उत्तर- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाया गया यह कार्यक्रम मिट्टी परीक्षण कराकर अपनी मिट्टी की ताकत जानने का अभियान है । 53- प्रश्न- मिट्टी की जॉंच कहॉं से और कब करायें ? उत्तर- प्रदेश के सभी जनपद मुख्यालयों पर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित है, जहॉं से जॉंच करायी जा सकती है। फसल बोने के पहले खाली खेत से मिट्टी 6 इंच गहरे (ऊपर से नीचे तक) गडढे से लेकर थैली में भरकर नाम, पता लिखकर मिट्टी परीक्षण केन्द्र पर भेजे। इसके लिए विकास खण्ड पर सम्पर्क करें। 54- प्रश्न- मिट्टी की जॉंच कहॉं से और कब करायें ? उत्तर- प्रदेश के सभी जनपद मुख्यालयों पर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित है, जहॉं से जॉंच करायी जा सकती है। फसल बोने के पहले खाली खेत से मिट्टी 6 इंच गहरे (ऊपर से नीचे तक) गडढे से लेकर थैली में भरकर नाम, पता लिखकर मिट्टी परीक्षण केन्द्र पर भेजे। इसके लिए विकास खण्ड पर सम्पर्क करें। 55- प्रश्न- मिट्टी परीक्षण पर व्यय कितना आता है? उत्तर- मिट्टी परीक्षण में मुख्य पोषक तत्व जानने की फीस रू0 7.00 (साते रूपये) तथा सूक्ष्म पोषक तत्व सहित रूपये 37.00 (सैंतीस रूपये ) का खर्च आता है तथा यदि कोई सीमान्त किसान अपने खेत की मिट्टी का नमूना प्रयोगशाला स्वयं लेकर जाता है तो उसका परीक्षण प्राथमिकता के आधार पर निःशुल्क करते हुए उर्वरक/खाद प्रयोग करने की संस्तुति प्रदान की जाती है। 56- प्रश्न- मिट्टी परीक्षण में क्या केवल पोषक तत्व की जानकारी ही दी जाती है ? उत्तर- नहीं, जानकारी के साथ-साथ फसलवार उर्वरकों की संस्तुति भी की जाती है। काम एक और लाभ अनेक। बीज एवं प्रक्षेत्र 57- प्रश्न- उत्तम कोटि का बीज क्या है। उत्तर- अनुवॉंशिक रूप से शतप्रतिशत शुद्ध बीज को उत्तम बीज कहते है। 58- प्रश्न- बुवाई के लिए कौन से बीज का प्रयोग करें। उत्तर- प्रमाणित बीज बुवाई के लिए उपयुक्त होता है। किसान भाई आधारीय बीज-1 एवं आधारीय बीज-2 से भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। 59- प्रश्न- बीज शोधन कैसे करें तथा क्या लाभ है। उत्तर- प्रमाणित बीज शोधित बीज होता है, किन्तु जिन बीजों का शोधन नहीं हुआ हो उन्हें थीरम अथवा कार्बेन्डाजिम से शोधित करें, जिससे बीमारियों एवं रोगों से मुक्ति मिल सके। 60- प्रश्न- बीज उत्पादन में रोगिंग क्या है। उत्तर- बीज उत्पादन की प्रक्रिया में नियत प्रजाति के उत्पादन में अन्य प्र्रजाति के पौधे को उखाड़कर खेत से बाहर करना रोगिंग कहलाता है, जिससे बीज/प्रजाति की शुद्धता बनी रहती है। 61- प्रश्न- क्या कई प्रकार के बीज होते है। उत्तर- जी हॉं मुख्यतया चार प्रकार के बीज होते है। 1. प्रजनक बीज, 2. आधारीय बीज, 3. प्रमाणित बीज 4. सत्यापित बीज। 62- प्रश्न- बीजों की गुणवत्ता कहॉं जॉंची जाती है। उत्तर- प्रदेश में 07 बीज विश्लेषण केन्द्र है जहॉं से बीजों की गुणवत्ता की जॉंच की जाती है। वाराणसी, आजमगढ़, बाराबंकी, हरदोई, मथुरा, मेरठ तथा झॉंसी। 63- प्रश्न- बीज खरीदते समय किस बात का ध्यान रखें। उत्तर- बीज क्रय करते समय रसीद जरूर प्राप्त करें तथा बीज के बैग पर टैगिंग को जरूर देखें। 64- प्रश्न- बीजोत्पादन क्या किसान कर सकता है। उत्तर- जी हॉं, सर्वप्रथम बीजोत्पादन हेतु पंजीकरण करायें तत्पश्चात बोये जाने वाली फसल की प्रजाति सुनिश्चित करते हुए बीज उत्पादन तकनीकी प्रक्रिया को अपनायें। 65- प्रश्न- हाइब्रिड बीज क्या है। उत्तर- अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु शोध द्वारा बीजों के गुणो में विकास कर तैयार किये गये बीज को हाइब्रिड बीज या संकर बीज कहते है। 66- प्रश्न- हाइब्रिड बीज को अगले वर्ष के लिए प्रयोग किया जा सकता है। उत्तर- प्रयास करें कि हाइब्रिड का भण्डारण कृषक अपने स्तर पर न करें क्योंकि इनमें अंकुरण क्षमता वाहय कारणों के कारण प्रभावित हो जाता है, जिससे जमाव घट जाता है। अतः किसान भाई प्रत्येक वर्ष नये हाइब्रिड बीज का उपयोग करें। 67- प्रश्न- क्या सभी फसलों के हाइब्रिड बीज उपलब्ध है। उत्तर- मुख्य रूप से धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, सरसों के हाइब्रिड बीज उपलब्ध है। 68- प्रश्न- संस्तुत प्रजातियॉं क्या हैं। उत्तर- शोध के उपरान्त सरकारी तन्त्र से अनुमोदित प्रजातियॉं ही संस्तुत प्रजातियॉं कहलाती है। 69- प्रश्न- सत्यापित बीज (टी0एल0) का प्रयोग लाभदायी है अथवा नहीं। उत्तर- सत्यापित बीज अथवा टी0एल0 का उत्पादन भी प्रमाणित बीज की तरह किया जाता है तथा बीज के बैग पर संस्था का टैग लगा होता है, इसलिए सत्यापित बीज अथवा टी0एल0 का प्रयोग लाभदायी होता है। 70- प्रश्न- प्रदेश की बीज प्रमाणीकरण संस्था कहॉं स्थापित है। उत्तर- उ0प्र0 बीज प्रमाणीकरण संस्था लखनऊ शहर के आलमबाग क्षेत्र में करियप्पा मार्ग पर स्थापित है। 71- प्रश्न- बीज का जमाव कम हो अथवा बीज खराब हो इसकी सूचना किसे दें। उत्तर- जिला कृषि अधिकारी/उप कृषि निदेशक को खराब बीज की सूचना अवश्य दें, जिससे उचित कार्यवाही की जा सके। उर्वरक 72- प्रश्न- जैव उर्वरक क्या है ? उत्तर- कल्चर ही जैव उर्वरक है। यह जीवित सूक्ष्म जीवाणुओं से बना हुआ एक प्रकार का टीका है जैसे राइजोबियम, पी0एस0बी0 तथा एजैटोबैक्टर। 73- प्रश्न- पोटाश की खाद (म्यूरेट आफ पोटाश) का प्रयोग कब और कैसे करें ? उत्तर- हल्की मृदा में (बलुअर, बलुअर दोमट) में पोटाश का प्रयोग दो या तीन बार में लाभदायी होता है, क्योंकि हल्की मृदा में पोटाश पानी में घुलकर जड़ों के काफी नीचे चला जाता है। 74- प्रश्न- विभिन्न प्रकार की खाद एवं उर्वरक मौजूद है इन सबके प्रयोग का समय बतायें ? उत्तर- हरी खाद बुवाई से डेढ़ माह पूर्व, कम्पोस्ट/वर्मी बुवाई से एक माह पहले खेत में भली भॉंति मिला देना चाहिए। उर्वरकों (नत्रजनधारी, फास्फेटिक एवं पोटाश) का प्रयोग बुवाई के समय इस प्रकार करना चाहिए कि नत्रजनधारी की आधी मात्रा फास्फेट एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय खेत में डाले तथा नत्रजन की शेष आधी मात्रा टाप ड्रेसिंग के रूप में खड़ी फसल में डाले। सूक्ष्म पोषक तत्वों वाली उर्वरक का प्रयोग मिट्टी जॉंच के आधार पर बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए। 75- प्रश्न- धान के खेतों में नील हरित शैवाल के प्रयोग से क्या लाभ है ? उत्तर- यूरिया की आधी बचत होती है तथा खेत ऊसर होने से बचा रहता है। 76- प्रश्न- जैव उर्वरक के प्रयोग के बारे में बताएं ? उत्तर- दलहन वाली फसलों में राइजोबियम कल्चर का प्रयोग, धान्य फसलों में एजटोबैक्टर का प्रयोग तथा सभी फसलों में फास्फेट की उपलब्धता हेतु पी0एस0बी0 का प्रयोग लाभदायी है। 10 किग्रा बीज के शोधन हेतु 1 पैकेट (200 ग्राम) तथा भूमि उपचार में प्रति एकड़ 20 पैकेट (04 किग्रा) कल्चर 40 किग्रा छनी मिट्टी में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। 77- प्रश्न- खेती में रासायनिक खादों के लगातार डालने से जो उर्वरा शक्ति कमजोर हुई है उसके समाधान का उपाय बताएं उत्तर- मिट्टी परीक्षण के आधार पर रासायनिक खादों के साथ खेत में जैविक खाद जैसे गोबर, वर्मीकम्पोस्ट, हरीखाद, जैव उर्वरक तथा फसलों के अवशेष आदि का प्रयोग अवश्य करें। 78- प्रश्न- ऊसरीली मिट्टी बनने का कारण बताएं ? उत्तर- ऊसर बनने के लिए मुख्य रूप से सिंचाई जल तथा मृदा प्रोफाइल में कड़ी परत के होने से सिंचाई करने पर यह समस्या आती है तथा जीवॉंश की कमी भी ऊसर बनने में सहयोग देता है। 79- प्रश्न- क्या कारण है कि उर्वरकों के प्रयोग के बावजूद भी उपज नहीं बढ़ रही है। उत्तर- उर्वरक उपयोग द्वारा उपज में वृद्धि न होने के प्रमुख कारण है - उर्वरकों का असन्तुलित उपयोग, द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, अनुचित जल प्रबन्धन तथा उर्वरकों की संदिग्ध गुणवत्ता है। 80- प्रश्न- उर्वरकों के प्रयोग से अधिकतम लाभ कैसे मिले? उत्तर- 1. मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग किया जाए। 2. फास्फोरसधारी उर्वरकों को कूॅंड में ही डालना चाहिए। 3. दलहनी फसलों में राइजोवियम कल्चर का प्रयोग अवश्य किया जाए। 4. गंधक की कमी वाले क्षेत्रों में सिंगल सुपर फास्फेट तथा अमोनियम सल्फेट को वरीयता के आधार पर दिया जाए। 5. नाइट्रोजनधारी उर्वरकों की टाप ड्रेसिंग में सावधानी बरती जाए अर्थात दोपहर बाद टाप ड्रेसिंग उर्वरक को यथा संभव मिट्टी में मिला देना चाहिए। 6. उन्नत खेती की संस्तुतियों का अनुपालन किया जाए। 81- प्रश्न- फसलों में मुख्य पोषक तत्वों की कमी के क्या लक्षण है मौटे तौर पर बतायें ? उत्तर- नत्रजन की कमी होने पर पौधे बौने रह जाते है, पुरानी पत्तियॉं पहले पीली तथा बाद में सूखने लगती है तथा उत्पादन घट जाता है। 82- प्रश्न- सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का उपचार कैसे करें ? उत्तर- 1. जिंक की कमी होने पर - जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत अथवा 33 प्रतिशत का प्रयोग करें। 2. लोहा की कमी के लिए - फेरस सल्फेट 19 प्रतिशत। 3. तॉंबा की कमी के लिए - कॉंपर सल्फेट 25 प्रतिशत। 4. बोरान की कमी के लिए -बोरेक्स सल्फेट 11 प्रतिशत। 5. मैगनीज की कमी के लिए -मैगनीज सल्फेट 26 प्रतिशत। 6. मालिब्डेनम की कमी के लिए -अमोनियम मालिब्डेट 54 प्रतिशत का प्रयोग करें। 83- प्रश्न- डी0ए0पी0 में कितना प्रतिशत नत्रजन एवं फास्फेट होता है। उत्तर- डी0ए0पी0 में 18 प्रतिशत नत्रजन एवं 46 प्रतिशत फास्फेट की मात्रा उपलब्ध होती है। 84- प्रश्न- एन0पी0के0 कई तरह के बाजार में उपलब्ध है। उनमें बेहतर कौन है। उत्तर- प्रदेश में एन0पी0के0 12:32:16, 20:20:0, 10:26:26, 19:19:19 के मिश्रण उपलब्ध है। सभी के प्रयोग लाभदायी होते है ध्यान रखे मृदा परीक्षण के आधार पर ही इनका प्रयोग करें। 85- प्रश्न- जिंक सल्फेट कई ग्रेड के है कौन सा उपयोगी है। उत्तर- जिंक मुख्य रूप से 21 प्रतिशत तथा 33 प्रतिशत के उपलब्ध हैं। 21 प्रतिशत का जिंक ज्यादा कारगर है। इसका प्रयोग आसान है क्योंकि यह रवेदार होता है, जबकि 33 प्रतिशत का जिंक पाउडर के रूप में होता है। 86- प्रश्न- कई बार उर्वरकों के प्रयोग का असर फसलों पर नहीं दिखता है। क्या करें। उत्तर- गुणवत्ता विहीन उर्वरक तथा प्रयोग विधि उचित न होने पर उर्वरकों का असर फसलों पर नहीं आता है। इसलिए आवश्यक है कि गुणवत्तायुक्त उर्वरक हीं खरीदें तथा दुकान से रसीद अवश्य प्राप्त करें। असर न होने पर इसकी शिकायत जिला कृषि अधिकारी को अवश्य करें। 87- प्रश्न- उर्वरकों का प्रयोग बेहतर ढंग से कैसे हो ? उत्तर- उर्वरकों के प्रकार के अनुसार ही प्रयोग किया जाना चाहिए। ध्यान रखें कि डी0ए0पी0 एवं म्यूरेट आफ पोटाश बुवाई के समय कूॅंड में ही बो देना चाहिए जबकि यूरिया का प्रयोग खड़ी फसल में छिड़ककर (टाप ड्रेंिसंग) के रूप में करने से बेहतर लाभ प्राप्त होता है। 88- प्रश्न- अक्सर वैज्ञानिकों/ अधिकारियों द्वारा कहा गया है 150:60:40 (एन0पी0के0) किग्रा/हे0 का प्रयोग करें। इस अनुपात की मात्रा बतायें ? उत्तर- 150:60:40 के अनुपात पर 270 किग्रा0 यूरिया, 130 किग्रा डी0ए0पी0 तथा 70 किग्रा0 म्यूरेट आफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की मात्रा आती है। 89- प्रश्न- संस्तुत खाद की मात्रा किस उर्वरक से आपूर्ति करें ? उत्तर- फास्फेट की पूर्ति सिंगल सुपर फास्फेट से पोटाश को म्यूरेट आफ पोटाश तथा नत्रजन को यूरिया से देना चाहिए। यदि फास्फेट की पूर्ति डी0ए0पी0 से की जा रही है तो बुवाई के समय 200-250 किग्रा0/हेक्टेयर जिप्सम देना लाभदायी होता है। 90- प्रश्न- जिंक सल्फेट की खाद पर क्या कोई सरकार द्वारा कोई छूट है। उत्तर- जिंक सल्फेट पर वर्तमान में 90 प्रतिशत की छूट प्रदान की गयी है, जिसे राजकीय बिक्री केन्द्रो से प्राप्त किया जा सकता है। 91- प्रश्न- बायो फर्टीलाइजर के क्रय पर कितनी छूट अनुमन्य हैं। उत्तर- वर्तमान में 90 प्रतिशत की छूट प्रदान की गयी है। 92- प्रश्न- एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्धन क्या हैं। उत्तर- इसे आई0पी0एन0एम0 से भी जाना जाता है। इस विधा में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग फसल की आवश्यकता के अनुसार किया जाता है। जिसमें जैविक खाद का प्रयोग आवश्यक होता है। जिससे मृदा का स्वास्थ्य टिकाऊ रह सके। 93- प्रश्न- खेतों में फसलों के अवशेष को जलाना हानिकारक है अथवा लाभदायी है। उत्तर- फसलों के अवशेषों को खेत में ही मिला देना लाभदायी है। अवशेषों को खेत में कभी भी न जलायें। यह एक हानिकारक प्रक्रिया है। 94- प्रश्न- उर्वरकों की गुणवत्ता खराब होने पर बिक्री केन्द्र/दुकान पर क्या कार्यवाही होती है। उत्तर- बिक्री केन्द्र का लाइसेन्स निरस्त किया जाता है तथा एफ0आई0आर0 जैसी कानूनी कार्यवाही भी सम्भावित रहती है। 95- प्रश्न- जिंक सल्फेट का प्रयोग डी0ए0पी0 के साथ या एस0एस0पी0 के साथ कर सकते है। उत्तर- जी नहीं, इसका प्रयोग एक साथ करने से लाभ नहीं मिल पाता है। 96- प्रश्न- नाडेप कम्पोस्ट में कितना पोषक तत्व रहता है। उत्तर- यह अन्य कम्पोस्ट की तुलना में जल्दी तैयार हो जाता है तथा लगभग 1.0 प्रतिशत नत्रजन, 1.5 प्रतिशत फास्फोरस तथा 1.0 प्रतिशत पोटाश के साथ अन्य आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाये जाते है। 97- प्रश्न- वर्मीकम्पोस्ट की कितनी मात्रा उपयोगी होती है। उत्तर- सामान्य तौर पर 3 से 5 टन प्रति हेक्टेयर वर्मीकम्पोस्ट खेती के लिए उपयोगी होता है। 98- प्रश्न- काऊ पैटपिट क्या है। उत्तर- यह एक प्रकार की जीवॉंश खाद है, जिसे गाय के सींग द्वारा तैयार किया जाता है। जैविक खेती के लिए सर्वोत्तम है। 99- प्रश्न- बायोडायनिमिक कम्पोस्ट क्या है। उत्तर- जानवरों के गोबर, सूखी पत्तियॉं, हरी पत्तियॉं तथा फसलों के बिछावन आदि को मिलाकर सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रयोग से सड़ाकर तैयार किया गया कम्पोस्ट बायोडायनिमिक कम्पोस्ट कहलाता है। इसे वैज्ञानिक विधि द्वारा तैयार किया जाता है। फसल 100- प्रश्न- सिंचाई क्यों आवश्यक है। उत्तर- फसलों के जीवन को पूर्ण करने के लिए तथा खेत से पोषक तत्वों को पौधों में पहुंचाने के लिए सिंचाई आवश्यक है। 101- प्रश्न- बौछारी सिंचाई क्या है। उत्तर- वर्षा जल की भॉंति जल को छिड़ककर देने के क्रिया को बौछारी सिंचाई कहते है। जिसे स्प्रिंकलर द्वारा किया जाता है। 102- प्रश्न- स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से क्या लाभ है। उत्तर- पानी के कमी होने पर भी अधिक क्षेत्र में जल की उपलब्धता की जा सकती है तथा समय से सिंचाई को पूरा किया जाता है। 103- प्रश्न- सिंचाई की विधियॉं बतायें। उत्तर- मुख्य रूप से प्रदेश में सतही विधि, भूमिगत विधि, स्प्रिंकलर विधि एवं थोड़े से क्षेत्रफल में ड्रिप विधि से सिंचाई की जाती है। 104- प्रश्न- सिंचाई महॅंगी होती जा रही है इसे कम करने का उपाय बतायें। उत्तर- सिंचाई की स्प्रिंकलर विधि एवं ड्रिप विधि को अपनायें इसमें कम खर्च आता है तथा सतही विधि में नाली तथा कुलाबे की सफाई पर ध्यान रखें। 105- प्रश्न- पम्पसेट लगवाने हेतु कितना अनुदान अनुमन्य है। उत्तर- पम्पसेट लगवाने हेतु राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजनान्तर्गत चयनित जनपदों में डीजल पम्प पर 50 प्रतिशत अथवा रू0 10,000/- जो भी कम हो का अनुदान अनुमन्य है। 106- प्रश्न- डीजल पम्प क्या विभाग द्वारा मिल सकता हैं। उत्तर- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, जो विभाग द्वारा संचालित है, में चयनित जनपदों में डीजल पम्प की उपलब्धता सुनिश्चित करायी गयी है। 107- प्रश्न- सिंचाई हेतु पाइप की आवश्यकता है कौन सी प्रयोग करें। उत्तर- एच0डी0पी0ई0 पाइप जो कुशल जल प्रबन्धन योजना के अन्तर्गत प्रदान किया जाना है, पर 50 प्रतिशत का अनुदान अनुमन्य है। 108- प्रश्न- जल निकास क्यों आवश्यक है। उत्तर- मृदा की रचना एवं संरचना बिगड़ने न पायें तथा जल प्लावन की स्थिति न हो इसके लिए जल निकास आवश्यक है। 109- प्रश्न- सिंचाई व्यवस्था न होने पर खेती कैसे करें। उत्तर- सिंचाई की व्यवस्था न होने पर वर्षा आधारित खेती जिसमें मुख्य रूप से मोटे अनाज की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। वर्तमान में औषधियुक्त पौधों की खेती भी प्रचलित हो रही है। 110- प्रश्न- सिंचाई की कम व्यवस्था होने पर कब सिंचाई आवश्यक होती है। उत्तर- फसलों की क्रान्तिक अवस्था पर ही सिंचाई करे जैसे गेहूॅं में 22 दिन पर सिंचाई आवश्यक है। यदि दो सिंचाई उपलब्ध है तो पहली सिंचाई 22 दिन पर तथा दूसरी सिंचाई फूल आने पर करें। यदि तीन सिंचाई उपलब्ध है तो कल्ले आते समय सिंचाई करें। 111- प्रश्न- सिंचाई जल बहकर नष्ट न हो इसके लिए उपाए बतायें। उत्तर- खेत समतल रखें तथा विभिन्न प्रकार की भूमि में ढाल की प्रतिशतता सुनिश्चित करें जैसे दोमट मिट्टी में 0.2 से 0.4 प्रतिशत तक का ही ढाल रखें। 112- प्रश्न- बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए सिंचाई की कोई विशेष योजना है। उत्तर- जी हॉं, बुन्देलखण्ड क्षेत्र में वर्षा जल संचयन एवं सिचाई की विशिष्ठ परियोजना संचालित है, जिसके अन्तर्गत स्पिंकलर सिंचाई प्रणाली एवं ड्रिप सिचांई प्रणाली पर विशेष अनुदान अनुमन्य है। योजनान्तर्गत लघु एवं सीमान्त तथा अनुसूचित जाति के कृषकों को शतप्रतिशत तथा अन्य कृषकों को 75 प्रतिशत अनुदान अनुमन्य है। कृषि रक्षा 113- प्रश्न- आई0पी0एम0 क्या हैं उत्तर- एकीकृत नाशी जीव प्रबन्धन में रोगं, खरपतवार एवं कीटनाशियों के नियंत्रण हेतु समन्वित प्रयास की एक विधा है। जिसमें गर्मी की जुताई से लेकर जैव कीटनाशियों का प्रयोग किया जाता है। 114- प्रश्न- कीटनाशियों के प्रयोग पर क्या छूट अनुमन्य है। उत्तर- विभिन्न परिस्थिति योजना अन्तर्गत जैव रसायनों एवं इकोफ्रेन्डली रसायनों पर 50 प्रतिशत तक अनुदान अनुमन्य है। 115- प्रश्न- एल्डरिंग एक प्रभावी दवा है, किन्तु उपलब्ध नहीं हो रही है। उत्तर- कुछ रसायनों का दुष्प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है, उनमें से एल्उरिंग भी एक है। इसलिए इसे प्रतिबन्धित कर दिया गया हैं 116- प्रश्न- क्या फसलवार आई0एन0एम0 होता है। उत्तर- जी हॉं, मुख्य फसलों के आई0एन0एम0 तैयार है। उसी क्रम में प्रयोग करना चाहिए। 117- प्रश्न- कीटनाशी रसायनों के प्रयोग को कैसे प्रभावी बनायें। उत्तर- कीटनाशी रसायनों की प्रयोग मात्रा एवं प्रयोग विधि पर विशेष ध्यान देकर प्रभावी बनाया जा सकता है। 118- प्रश्न- कीटनाशी रसायनों के दुष्प्रभाव से कैसे बचें। उत्तर- खास तौर से सब्जियों, फलों तथा अनाजों की कटाई के समय कीटनाशी रसायनों का प्रयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। सब्जियों की तुड़ाई के एक सप्ताह पहले प्रयोग बन्द कर देना चाहिए। 119- प्रश्न- कीटनाशी रसायनों के नये नये मिश्रण बाजार में उपलब्ध है। क्या यह लाभदायी है। उत्तर- जी हॉं, कीटनाशी रसायनों के मिश्रण ज्यादा प्रभावी होते है। इनके प्रयोग से कई प्रकार के रोगों की एक साथ रोकथाम हो जाती है। 120- प्रश्न- कीटनाशी रसायनों की गुणवत्ता जॉंच कैसे करें। उत्तर- सरकार द्वारा कीटनाशी रसायनों की गुणवत्ता की जॉंच हेतु किसानों को सीधे अधिकृत किया है कि वे नमूने लेकर गुणनियंत्रण प्रयोगशाला को सीधे प्रेषित कर सकते है तथा परिणाम के आधार पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी को सूचित करें। इसमें दण्ड का भी प्राविधान है। 121- प्रश्न- कीटनाशी रसायनों का प्रयाग किस उपकरण द्वारा ज्यादा प्रभावी है। उत्तर- फ्लैट फैन नाजिल स्प्रेयर का प्रयोग अत्यधिक प्रभावी होता है। 122- प्रश्न- कीटनाशियों का प्रयोग कब नहीं करना चाहिए। उत्तर- तेज धूप में तथा हवा चलते समय, बारिस की सम्भावना होने के समय कीटनाशियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 123- प्रश्न- बीज शोधन में किस रसायन का प्रयोग उचित होता है। उत्तर- थीरम तथा कार्बेन्डाजिम रसायन का प्रयोग उपयुक्त होता है तथा जैव रसायन के रूप में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग बीज शोधन के लिए उपयुक्त है। 124- प्रश्न- दीमक को नियंत्रित करने हेतु क्या करें। उत्तर- बवेरिया बेसियाना बायो पेस्टीसाइड का पयोग सबसे अधिक प्रभावी है। इसके अतिरिक्त क्लोरोपायरीफास के प्रयोग से दीमक को नियंत्रित किया जा सकता है। 125- प्रश्न- ट्राइकोडर्मा एवं बवेरिया बेसियाना कहॉं से प्राप्त करें। उत्तर- राजकीय कृषि बिक्री केन्द्रों/कृषि रक्षा केन्द्रो पर ट्राइकोडर्मा एवं बवेरिया बेसियाना 90 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है। अनुदान 126- प्रश्न- रोटावेटर किस कार्य में प्रयोग किया जाता है तथा इस पर अनुदान क्या है। उत्तर- रोटावेटर द्वारा एक ही बार में खेत की तैयारी अच्छी प्रकार हो जाती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन अन्तर्गत 50 प्रतिशत अथवा रू0 30,000.00 जो भी कम हो तथा मैक्रोमोड योजना में मूल्य का 40 प्रतिशत अथवा रू0 20,000.00 में से जो भी कम हो । 127- प्रश्न- लेजर लेवलर क्या है। क्या प्रदेश में उपलब्ध है। उत्तर- खेत को समतल करने हेतु आधुनिक कृषि यन्त्र है। जो प्रदेश की समस्त भूमि संरक्षण इकाईयों पर उपलब्ध है। 128- प्रश्न- कोनोवीडर क्या है। उत्तर- एस0आर0आई0 पद्धति से धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण हेतु प्रयोग किया जाने वाला यह कृषि यन्त्र है। 129- प्रश्न- सीड कम फर्टीड्रिल से क्या क्या कर सकते है तथा इस पर क्या अनुदान है। उत्तर- सीड कम फर्टीड्रिल से एक साथ खाद एवं बीज की बुवाई निश्चित गहराई पर कर सकते है तथा इस पर 50 प्रतिशत अथवा रू0 15000.00 में से जो भी कम हो का अनुदान अनुमन्य है। 130- प्रश्न- रोटावेटर चलाने के लिए कितने हार्स पावर ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। उत्तर- 40 हार्स पावर ट्रैक्टर की आवश्यकता होती हैं। 131- प्रश्न- राष्टीय खाद्य सुरक्षा मिशन अन्तर्गत किन कृषि यन्त्रों पर अनुदान अनुमन्य है। उत्तर- उक्त यन्त्रों के मूल्य का 50 प्रतिशत या निम्न निर्धारित मूल्य में से जो भी कम हो का अनुदान अनुमन्य है। अ-जीरो टिल - 15000.00 ब-सीड ड्रिल - 15000.00 स-रोटावेटर - 30000.00 द-स्प्रिंकलर सेट - 7500.00 य-नैपसैक स्प्रेयर - 400.00 र-डीजल पम्पसेट - 10000.00 ल-कोनोवीडर - 3000.00 व-पावर वीडर - 15000.00 फसल 132- प्रश्न- गन्ने में दीमक लगा है क्या करें। उत्तर- 5.00 ली. प्रति हे0 की दर से क्लोरोपाइरीफास सिचाई के पानी के साथ प्रयोग करें 133- प्रश्न- गन्ने में कितना उर्वरक प्रयोग करें। उत्तर- गन्ने में 330 कि0ग्रा0 यूरिया 12:32:16 एन0पी0के0 तथा पोटाश 40 किग्रा/हे0 प्रयोग करें। 134- प्रश्न- गन्ने में कीड़ा लगा है एक फिट ऊपर से सूख जाता है। उत्तर- गन्ने में इण्डोसल्फान 35 ई.सी. 3.5 ली0 या रोगोर 30 ई.सी0 700 मि.ली. प्रति हे0 की दर से छिड़काव करें। 135- प्रश्न- गन्ने में चूहे लग रहे है क्या करें। उत्तर- जिंक सल्फाइड या अल्यूमिनियम फास्फाइड की गोली बना कर खेत या मेड़ पर रखे। 136- प्रश्न- गन्ने में काली सूंडी का प्रकोप है। उत्तर- गन्ने में गामा बी.एच.सी 20 प्रतिशत 1.25 ली0 या इण्डोसल्फान 35 ई0सी0 700 मि0ली0 या रोगार 30 प्रतिशत 700 मि0ली प्रति हे0 की दर से डालें। 137- प्रश्न- गन्ने में पत्ती काटने वाला कीट लगा है। उत्तर- गन्ने में गामा बी.एच.सी. 20 प्रतिशत घोल 1.25 ली0 प्रति हे0 अथवा मैलाथियान 10 प्रतिशत चूर्ण प्रति हे0 की दर से प्रयोग करें। 138- प्रश्न- गन्ने की पत्तियों पर काले-काले धब्बे पड़ रहे है क्या करें। उत्तर- यह रोग पाइरिला के कारण होता है इसकी रोकथाम के लिए मैलाथियान 5 प्रतिशत या लिण्डेन धूल 1.3 प्रतिशत 25 किग्रा0/हे0 की दर से प्रयोग करें। 139- प्रश्न- गांव में पुआल ज्यादा है क्या गन्ने में फैलाकर सिचाई कर दे तो लाभ होगा। उत्तर- जी हॉ फायदा होगा इससे पानी गर्मी में कम उड़ेगा तथा पुआल सड़कर खाद का भी काम करेगा। 140- प्रश्न- गन्ने में टिड्डा लगा है पत्तियॉ खा रहा है। उत्तर- 2.5 ली0 क्लोरोपाइरीफास को 500 ली0 पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से शाम को छिड़काव करें। 141- प्रश्न- गन्ने में रोग है बीच से चीरने पर पूरा पौधा लाल दिखता है। 25 प्रतिशत फसल बची है शेष सूख गयी है। उत्तर- रोग लगने के बाद कुछ नहीं किया जा सकता, आगे से इस खेत में कम से कम 3 वर्ष तक गन्ने की फसल न लें। 142- प्रश्न- गन्ने में कण्डुआ रोग लगा है क्या करें। उत्तर- इसके लिए बीज उपचार बेहतर उपाय है 50 डिग्री तक गर्म पानी में 4 घंटे बीज को डुबोकर उपचारित करें। अब ब्लाइटाक्स दवा का छिड़काव करें। अन्य 143- प्रश्न- ढैचा बोना है प्रति है. बीज की मात्रा क्या होगी। उत्तर- हरी खाद हेतु बीज की मात्रा 45-50 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। इसी प्रकार ढैंचा बीज उत्पादन हेतु 20-25 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से बीज पर्र्याप्त होता है। ऊसर भूमि में बीज की मात्रा बढ़ाकर सवा गुना कर लें। 144- प्रश्न- ढैंचा में उर्वरक की मात्रा क्या होगी। उत्तर- उर्वरक 10-15 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40-50 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हे0 की दर से प्रयोग करें। 145- प्रश्न- सूरजमुखी की खेती करनी है कब बुवाई करे व बीज की मात्रा बता दें। उत्तर- बुवाई का उपयुक्त समय फरवरी का दूसरा पखवारा है। संकुल प्रजाति 12-15 कि0ग्रा0 बीज तथा संकर प्रजाति का 5-6 कि0ग्रा0 बीज प्रति हे0 पर्याप्त है। 146- प्रश्न- सूरजमुखी में उर्वरक कितना डालें। उत्तर- 80 किग्रा0 नत्रजन, 60 किग्रा0 फास्फोरस एवं 40 किग्रा0 पोटाश प्रेति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। सूरजमुखी की खेती में 200 किग्रा जिप्सम तथा 3 से 4 टन गोबर की कम्पोस्ट खाद प्रेति हेक्टेयर की दर से प्रयोग लाभप्रद पाया गया है। 147- प्रश्न- सूरजमुखी में सिंचाई कब-कब महत्वपूर्ण है। उत्तर- पहली सिंचाई बोने के 20 से 25 दिन बाद आवश्यक है। फूल निकलते समय तथा दाना भरते समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। 148- प्रश्न- सूरजमुखी को नीलगाय ने खा लिया है क्या दोबारा कल्ले देगी। उत्तर- मुश्किल है कहीं-कही कल्ले आ सकते है। 149- प्रश्न- सूरजमुखी में कीड़ा लगा है क्या करें? उत्तर- मिथाइल ओ डिमेटान 25 ई.सी. 1 ली0 अथवा इण्डोसल्फान 35 ई.सी. 1.25 ली. प्रति हे0 की दर से 600-800 ली. पानी में घोलकर छिडकाव करें। 150- प्रश्न- जायद में मूंग की किस प्रजाति की बुवाई करें। उत्तर- टा0-44, पन्त मूंग-1, पन्त मूंग-2, नरेन्द्र मूंग-1, सम्राट, मालवीय जागृति, मेहा तथा एच0यू0एम0-16 अच्छी प्रजातियॉं है। 151- प्रश्न- जायद में उर्द की किस प्रजाति की बुवाई करें। उत्तर- पन्त उर्द-19, पन्त उर्द-35, टाइप-9, नरेन्द्र उर्द-1, आजाद उर्द-1, आजाद उर्द-2, शेखर-1 तथा शेखर-2 अच्छी प्रजातियॉं है। 152- प्रश्न- जायद में उर्द, मूंग की कितनी मात्रा बीज का प्रयोग करें। इनकी बुवाई का उपयुक्त समय क्या है। उत्तर- उर्द तथा मूंग दोनों फसलों में लगभग 30 किग्रा0 बीज प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए पर्याप्त होता है। मूंग की बुवाई का उपयुक्त समय 10 मार्च से 10 अप्रैल तक है तथा उर्द की बुवाई का उपयुक्त समय 15 फरवरी से 15 मार्च तक है। 153- प्रश्न- जायद में उर्द, मूंग की कितनी मात्रा उर्वरक का प्रयोग करें। उत्तर- उर्द तथा मूंग में 15-20 किग्रा0 नत्रजन, 40 किग्रा0 फास्फोरस तथा 20 किग्रा0 गन्धक प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। यदि सुपर फास्फेट उपलब्ध न हो तो 2 कुन्तल जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय प्रयोग करें। 154- प्रश्न- उर्द तथा मूंग में प्रायः पीले चित्रवर्ण (मोजैक) रोग का प्रकोप होता है। इससे बचने के उपाय क्या है। उत्तर- इससे बचने के लिए मोजैक अवरोधी प्रजातियों की बुवाई करें। रोग का प्रकोप दिखायी देने पर मिथाइल ओ डिमिटान 25 ई.सी. अथवा डाइमोथेएट 30 ई.सी. 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600-800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे। 155- प्रश्न- कपास की खेती के लिए अच्छी प्रजातियॉं कौन सी है। उत्तर- आर0जी0-8, लोहित देसी प्रजाति तथा एच0एस0-6, विकास, एच0-777, एफ-846, आर0एस0-810 अमेरिकन प्रजातियॉं अच्छी पैदावार देती है। 156- प्रश्न- कपास की खेती में बीज की कितनी मात्रा प्रयोग करें। उत्तर- देसी प्रजाति के लिए 15 किग्रा. प्रति हेक्टेयर तथा अमेरिकन प्रजाति के लिए 20 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर रेशा रहित बीज प्रयोग करें। 157- प्रश्न- कपास की बुवाई का उपयुक्त समय क्या है। उत्तर- देसी कपास की बुवाई के लिए अप्रैल का प्रथम पखवारा तथा अमेरिकन कपास की बुवाई के लिए मध्य अप्रैल से मध्य मई बुवाई के लिए उपयुक्त समय है। 158- प्रश्न- कपास की खेती में उर्वरक का प्रयोग कितना करें। उत्तर- कपास में केवल नत्रजन व फास्फोरस उर्वरक ही दिया जाना चाहिए। देसी व अमेरिकन दोनों प्रजाति के लिए 60 किग्रा0 नत्रजन तथा 30 किग्रा0 फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से तत्व की आवश्यकता होती है। डी0ए0पी0 एवं युरिया का प्रयोग करने पर 67 किग्रा0 डी0ए0पी0 एवं 105 किग्रा0 यूरिया का प्रयोग करना चाहिए। सुपर फास्फेट एवं यूरिया का प्रयोग करने पर 188 किग्रा0 सिंगल सुपर फास्फेट तथा 130 किग्रा0 यूरिया का प्रयोग करना चाहिए। 159- प्रश्न- कपास गेलर बेधक कीट का प्रकोप अत्यधिक होता है। बचाव कैसे करें। उत्तर- इनके प्रकोप से 80 प्रतिशत तक फसल का नुकसान होता है। यदि 5 प्रतिशत से अधिक क्षति हो तो नैपसैक मशीन से क्यूनाल फॉस 25 सी0सी0 2 लीटर, मोनोक्रोटोफास 36 ई.सी. 1.25 लीटर अथवा इन्डोसल्फान 35 ई.सी. 1.5 लीटर को आवश्यक पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। 160- प्रश्न- जूट की अच्छी प्रजातियॉं कौन कौन सी है। उत्तर- जे0आर0सी0-321, जे0आर0सी0-212, यू0पी0सी0-94, जे0आर0सी0-698, जे0आर0ओ0-632, जे0आर0ओ0-878, जे0आर0ओ0-524 तथा 66 जूट की अच्छी प्रजातियॉं है। 161- प्रश्न- जूट की बुवाई के लिए कितनी बीज की आवश्यकता होगी। उत्तर- पंक्तियों में बुवाई करने पर 4 से 6 किग्रा. तथा छिड़कवा बोने पर 6 से 8 किग्रा0 बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। 162- प्रश्न- जूट की बुवाई का उपयुक्त समय क्या है। उत्तर- फरवरी से मार्च तक उपयुक्त समय है। 163- प्रश्न- जूट की खेती में उर्वरक की कितनी मात्रा का प्रयोग करें। उत्तर- कैप्सफलोरिस किस्मों के लिए 60:30:30 और औलिटेरियस के लिए 40:20:20 किग्रा0 नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई से पूर्व प्रयोग करना चाहिए। यदि बुवाई के 15 दिन पूर्व 100 कुन्तल कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर प्रयोग करने से पैदावार अच्छी मिलती है। 164- प्रश्न- जूट की फसल में पौधों से पौधों की दूरी क्या रखे। उत्तर- जूट की खेती में लाइन से लाइन 30 सेमी0 तथा पौधे से पौधे की दूरी 6 से 8 सेमी0 रखनी चाहिए। इसके लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद निराई करके खरपतवार निकाल देना चाहिए और बिरलीकरण करके पौधे से पौाधे की दूरी 6 से 8 सेमी0 कर देनी चाहिए। 165- प्रश्न- जूट की फसल में जड़, तना सड़न से काफी नुकसान होता है। बचाव के उपाए बतायें। उत्तर- बचाव के लिए बीज को शोधित करके ही बोना चाहिए। बीज को थीरम 3 ग्राम प्रति किग्रा0 बीज शोधित करके बोना चाहिए। 166- प्रश्न- जूट की फसल को कीड़ों के प्रकोप से कैसे बचाएं। उत्तर- जूट की फसल पर कभी कभी सेमी लेपर एपियन, स्टेम बीविल कीटों का प्रकोप होता है। इनके नियंत्रण हेतु इन्डोसल्फान 35 ई0सी0 के 1.250 लीटर को 700 लीटर पानी में घोलकर फसल की 40 से 45, 60 से 65 तथा 100 से 105 दिन की अवस्थाओं पर छिड़काव किया जा सकता है। 167- प्रश्न- जैविक खाद कहॉ मिल सकती है। उत्तर- क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, आलमबाग, निकटतम सहकारी समिति और किसी अच्छे बीज विक्रेता के पास मिल जायेगी। साथ ही इफको किसान सेवा केन्द्रों से सम्पर्क कर सकते हैं। 168- प्रश्न- डव्च् में पोटाश कितना प्रतिशत होता है। उत्तर- 60 प्रतिशत। 169- प्रश्न- कल्चर एवं दवा से बीज कैसे उपचारित करें। उत्तर- पहले दवा से उपचारित करें उसके बाद कल्चर की दोगुनी मात्रा से उपचारित करें। 170- प्रश्न- क्।च् खाद ज्यादा रेट पर बेच रहे है उत्तर- जिला स्तर पर एक हैल्प लाइन है या फिर सीधे जिला कृषि अधिकारी से सम्पर्क करें। 171- प्रश्न- फसलों में पाले से बचाव के लिए क्या कर सकते है। उत्तर- गन्धक के अम्ल की एक ली0 मात्रा को 1000 ली0 पानी में घोलकर छिड़काव लाभप्रद होगा। 172- प्रश्न- सल्फर व जिंक का कल का घोल रखा है वह खराब तो नहीं हुआ होगा। उत्तर- जी नहीं। 173- प्रश्न- मिट्टी की जॉच के लिए क्या करे, कहॉ होगी। उत्तर- खाली खेत से 5-6 जगहों से नमूना लेकर, उसको अच्छी तरह से मिलाकर आधा किग्रा मिट्टी का नमूना आप अपने जनपद के मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें। 174- प्रश्न- खेत खाली है जुताई करके छोड दें। उसमें कुछ मिलाना तो नहीं है। उत्तर- जी हॉ गहरी जुताई करके खेत को खाली छोड दें अभी कुछ मिलाने की आवश्यकता नहीं है। 175- प्रश्न- नीलगाय के लिए क्या उपाय ? उत्तर- नीलगाय से अपनी फसल को बचाने के लिए 3-4 ली0 चार-पॉच दिन का सड़ा हुआ मठ्ठा लेकर उसमें 750 ग्रा0 बालू एवं 400 ग्रा0 लहसुन अच्छी तरह पीस कर भलीभाति मिला लें तथा इस मिश्रण को पुनः 4-5 दिन रखकर 10-11 वें दिन 25 लीटर पानी में घोल बनाकर नीम की टहनी से प्रति एकड़ छिड़क दें। 176- प्रश्न- वर्मी कम्पोस्ट गोबर के एक फिट पर कितना कूडा व मिट्टी की तह लगाये। यह कितने दिन में तैयार होती है। कौन सा केचुआ वर्मीकम्पोस्ट के लिए सबसे उपयुक्त होता है। उत्तर- कूडे व मिट्टी के 6-6 इंच की तह लगाये व गढ्ढे में नमी बनाये रखे। वर्मीकम्पोस्ट लगभग 45-50 दिन में तैयार हो जाती है। वर्मीकम्पोस्ट बनाने में आइसीनिया फोटिडा प्रजाति का केचुआ सर्वोत्तम होता है। 177- प्रश्न- प्रतिबन्धित रसायन कौन कौन से है? उत्तर- आल्ड्रिन, बी.एच.सी., कैल्शियम साइनाइड, क्लोरोडेन, हेप्टाक्लोर, नाइट्रोफेन, इथिलीन डाइब्रोमाइड तथा निकोटीन सल्फेट आदि प्रतिबन्धित दवायें है। 178- प्रश्न- किसान काल सेन्टर का निःशुल्क नम्बर क्या है तथा यह किन दूरसंचार सेवाओं पर कब से कब तक उपलब्ध है। उत्तर- 1551 निःशुल्क नम्बर है। यह सुविधा बी0एस0एल0एल0, वोडाफोन, रिलायन्स तथा एयरटेल पर निःशुल्क है। यह सुविधा प्रातः 6.00 बजे से रात 10.00 बजे तक किसानों को मुफ्‌त में उपलब्ध है। 179- प्रश्न- किसान काल सेन्टर का निःशुल्क नम्बर क्या है तथा यह किन दूरसंचार सेवाओं पर कब से कब तक उपलब्ध है। उत्तर- 1552 निःशुल्क नम्बर है। यह सुविधा बी0एस0एल0एल0, वोडाफोन, रिलायन्स तथा एयरटेल पर निःशुल्क है। यह सुविधा प्रातः 6.00 बजे से रात 10.00 बजे तक किसानों को मुफ्‌त में उपलब्ध है। योजना 180- प्रश्न- किसान हित योजना क्या प्रदेश के सभी जिलों में चलायी जा रही है अथवा कुछ ही जनपदों में? उत्तर- किसान हित योजना प्रदेश के सभी 70 जनपदों में चलायी जा रही है। 181- प्रश्न- योजना का क्या उद्देश्श्य है? उत्तर- किसान हित योजना का मुख्य उद्देश्य भू-आवंटी लघु एवं सीमांत कृषकों की ऊसर, बीहड़ बंजर एवं जल भराव आदि समस्याग्रत भूमि का लाभार्थियों भूमि सैनिकों द्वारा ही उपचार कराकर उनकी आय में वृद्धि करना एवं उनके परिवार को खाद्यान उपलब्ध कराना है। 182- प्रश्न- किसान हित योजना में कौन-कौन से कार्य कराये जाते है? उत्तर- योजना में भूमि एवं जल संरक्षण के समस्त कार्य कराये जाते है जैसे समोच्च रेखीय बांध बन्धी निर्माण समतलीकरण, तालाब निर्माण, जल निकास नली निर्माण, उद्यानीकरण कृषि वानिकी आदि। 183- प्रश्न- यह भूमि सनिक कौन है? उत्तर- किसान हित योजना के अंतर्गत दो प्रकार के लाभार्थियों को भूमि सैनिक माना गया है एक ऐसे लघु एवं सीमांत कृषक जिसमें भूमि आवंटी भी सम्मिलित है, जिनमें भूखण्ड समस्याग्रत होने के कारण कम उपजाऊ है तथा दो ऐसे भूमिहीन खेतीहर मजदूर जो इस प्रकार की भूमि प्र मजदूरी कर सकते है एवं भू-आवंटन के पात्र है। 184- प्रश्न- योजना के क्या लाभ है? उत्तर- ग्रामीण अंचलों में बेकार पड़ी भूमि को कृषि के अंतर्गत लाया जा रहा है। जिससे अतिरिक्त क्षेत्रफल कृषि के अंतर्गत आ रहा है तथा भूमि की उपयोगिता के अनुसार उन्हें ठीक कर कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है तथा स्थानीय रूप से भूमिहीन मजदूरों एवं खेतिहर मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। 185- प्रश्न- योजना के अंतर्गत क्या क्या सुविधायें उपलब्ध करायी जाती है? उत्तर- किसान हित योजना राज्य पोषित योजना है तथा लगभग 90: राज्यांश एवं 10: कृषक अंश है। मात्र सुधार के अंतर्गत जिप्सम पर कृषक अंश 25: है। योजना के अंतर्गत समस्त कार्य एवं मजदूरी का भुगतान भुमि सनिको द्वारा गठित स्थल क्रियांवयन समिति द्वारा किया जाता है। 186- प्रश्न- अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु उर्वरकों का प्रयोग किस प्रकार करें? उत्तर- मृदा परीक्षण के पश्चात बोई जाने वाली फसल की तत्वों की आवश्यकता के लिए संस्तुत मात्रा में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें। उर्वरकों का सही समय पर सही विधि द्वारा प्रयोग करें, जिससे पोषक तत्वों का ह्रास न हो तथा न्यूनतम उत्पादन लागत से अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सके। अन्य 187- प्रश्न- 2.5 साल की पड़िया को गलाघोटू रोग हो गया है उत्तर- म्गबमचज 1 ग्रा0 इन्जेक्शन 3 दिन लगायें स्वज 30 मि.ली. इन्जेक्शन 15 मि.ली. सुबह व 15 मि.ली. शाम को टमजसवह 5 मि.ली. इन्जेक्शन एक बार। अमरबेल उबालकर सिकाई करें। 188- प्रश्न- गाय चारा कम खा रही है पेट कुछ गडबड है। उत्तर- हिमालयन बतीसा दे, साफ पानी पिलाये और बासी चारे को न खिलायें। यदि बुखार आदि है तो समीप के पशुचिकित्सालय में दिखा ले। 189- प्रश्न- 3 साल की पडिया है वो गर्म नहीं हो रही है उत्तर- 12 प्रजना कैप्सूल लें 6 पहले दिन, 4 दूसरे दिन, व 2 तीसरे दिन दें 10 दिन में गर्मी में न आये तो फिर से 11 वें दिन 6, 12 वे दिन 4 तथा 13 वे दिन 2 कैप्सूल दें साथ ही काफीक्यू की 20 टेबलेट ले और 20 दिन तक प्रतिदिन एक टेबलेट दें। .190- प्रश्न- बैलों के खुर पक रहे है क्या करें ? उत्तर- फिनाइल के घोल से पैर धोकर लाल दवा लगायें। 191- प्रश्न- गाय को थनैला रोग हुआ है चारों थनों में सूजन है, उपचार के उपाए बताएं। उत्तर- यूट्रोटोन 900 मि.ली. ले, 200 मि.ली. पहले दिन तथा 150 मि.ली. 3-4 दिन तक दें। मैस्टीप 16 कैप्सूल ले 2 सुबह व 2 शाम को दे मेस्टीलेप ट्यूब लेले सुबह, शाम को दूध निकालकर थन तथा अयन पर लगा दें। कोस्टल इंरजे0 4 ड्रम ले 2 पहले दिन व 2 दूसरे दिन लगवा दें तथा नेवलजीन 30 मि.ली. खिलाएं।

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