Friday, 6 November 2015

समस्या – समाधान


समस्या- क्या खड़ी फसल में डीएपी का उपयोग कर सकते हैं।
– माणकचंद मोदी, सारंगपुर
समाधान-

1. डीएपी का पूरा नाम डाई अमोनियम फास्फेट है इससे पौधों को दो महत्वपूर्ण तत्व अमोनियम से नत्रजन तथा फास्फेट से फास्फोरस मिलता है।
2. किसी भी खाद में जिसमें फास्फोरस रहता है को खड़ी फसल में नहीं देना चाहिए।
3. फास्फोरस मिट्टी के संपर्क में आने पर मिट्टी के कणों में स्थिर हो जाता है। इसकी पानी में घुलनशीलता कम होने के कारण यह देर से तथा धीरे-धीरे घुलता है। इस कारण यह पौधों को देर से उपलब्ध हो पाता है। इस कारण खड़ी फसल में फास्फोरस वाली खाद नहीं दी जानी चाहिए।
4. फास्फोरस वाली खाद का उपयोग आधार खाद के रूप में बीज बोने के पूर्ण या समय पर करना चाहिए। यदि यह खाद बीज के नीचे दी जाये तो वह पौधों को सरलता से उपलब्ध हो जाती है।
5
समस्या- कपास में मिलीबग का नियंत्रण कैसे करें।
– भागवत सिंह हाड़ा, होशंगाबाद
समाधान-

कपास में मिलीबग का प्रकोप प्रतिवर्ष बढ़ता चला जा रहा है। मिलीबग के शरीर का ऊपरी भाग मोम के पदार्थ से ढका रहता है। जिस कारण सामान्य तरीके से छिड़काव करने से इसका उचित नियंत्रण नहीं मिल पाता है। कई कीटों के नियंत्रण के लिये कीटनाशक के चुनाव से छिड़कने का समय व छिड़कने का तरीका अधिक महत्वपूर्ण रहता है। इन कीटों में मिलीबग भी सम्मिलित है।
द्य नियंत्रण के लिये स्पर्श कीटनाशक जैसे ट्राइजोफॉस का उपयोग करें।
द्य आपने देखा होगा कि जैसे ही हम छिड़काव आरंभ करते है। इसके शिशु नीचे गिर जाते हंै। और कुछ समय बाद फिर से रेंग कर पौधों में चढ़ जाते हैं।
द्य इसके उचित नियंत्रण के लिये पहले ऐेसे पौधों में छिड़काव करें जिनमें मिलीबग का प्रकोप कम हो। फिर भूमि पर छिड़काव करें अंत में जहां मिलीबग समूह में हो वहां छिड़काव करें। इससे शिशु जो जमीन में गिरकर फिर पौधों में रेंग कर चढ़ जाते हंै उनका भी नियंत्रण हो जायेगा।
6
समस्या- धान लगाई है वर्षा जल के अतिरेक से क्या हानि हो सकती है कृपया बतायें उचित जल प्रबंधन से और क्या हो सकता है।
– घनश्याम दास, बालाघाट
समाधान -

वैसे तो इस वर्ष की वर्षा से फसलों को हानि पहुंची है परंतु अन्य फसलों की तुलना में धान को कम हानि होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि धान की फसल को सतत जल की आवश्यकता रहती है हर फसलों में उचित जल प्रबंधन से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। धान की फसल में जल प्रबंध करके रसचूसक कीट जैसे भूरा माहो, हरा माहो, सफेद माहो एवं गंगई का नियंत्रण सरलता से किया जा सकता है। जल की उपलब्धता होने पर 5-7 दिन के अंतर से 1 या 2 बार पानी खोलने से उक्त कीटों के अंडे खेत के बाहर हो जाते हंै और प्रारंभिक आक्रमण पर अंकुश लगाया जा सकता है। अन्य फसलों में नालियां बना कर अतिरिक्त जल का निथार बहुत जरूरी होगा।
7
समस्या – मिर्च में माहो का प्रकोप हो गया है नियंत्रण के उपाय बतायें।
– रणवीर सिंह, भिंड
समाधान-

माहो अनेकों फसलों पर कोमल पत्तों का रसचूसकर बहुत हानि पहुंचाता है। रस चूसने के दौरान एक प्रकार का मीठा रस पत्तियों पर गिरता है। जिस पर हवा में उपलब्ध सूटीमोल्ड पनपने लगती है और दोहरा नुकसान करती है। आप निम्न उपाय करें-
1. कीट प्रकोप की प्रारंभिक अवस्था में नीमतेल 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
2. अधिक प्रकोप दिखने पर डायमिथियेट 30 ई.सी. की 2 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें। अथवा एफीसेट 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें। अथवा एसीडाक्लोप्रिड 18.5 एस.एल. 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
8
समस्या- कृषि कार्य हेतु यांत्रिकी संबंधित जानकारी जिसमें अनुदान के बारे में विशेष रूप से उल्लेख हो ऐसी किताब कहां मिलेगी।
– एस.आर. नागौर, इंदौर
समाधान-

आप कृषि यंत्र तथा उनके क्रम के बारे में संपूर्ण जानकारी की किताब चाहते हैं। यदि आप हमारे कृषक जगत के सदस्य हो तो आपके पास कृषक जगत द्वारा प्रकाशित डायरी होगी उसमें अन्य विभागों के अलावा कृषि यंत्रों और अनुदान की भी जानकारी दी गई है। आप कृषक जगत भोपाल के पते पर रु. 25/- का मनीआर्डर कर किसानों को दी जाने वाली सुविधाएं मंगा सकते हैं।

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