लखनऊ। कुछ दिनों पहले किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ी थी। अब वे धान की फसल के खराब होने से दिक्कत में हैं। वजह, बरसात नहीं हुई। सरकारीतंत्र भी इतना लापरवाह है कि नहरें सूखी गई। किसानों के खेतों की फसलों को नहरों से सिंचाई के लिए मिलने वाले पानी के रूप में संजीवनी नहीं मिल सकी। अब या तो फसल सूख चुकी है या फिर उनमें बालियां ही नहीं है।
किसान धान की फसल न होने के मलाल को थोड़ा कम कर सकते हैं। हुई हानि की भरपाई की भी कुछ हद तक हो जाएगी, वह भी थोड़ी सी सिंचाई में। किसानों को समय से सरसों की खेती करनी होगी। आइए जानें इसके लिए जरूरी कदम क्या हो सकते हैं?
यह भी जानें
कृषि वैज्ञानिक डाॅ. संजय कुमार द्विवेदी की मानें तो सरसों रबी के तिलहन की फसल है। सीमित सिंचाई में भी इसकी भरपूर पैदावार होती है। फूल आने से पहले और दाना भरने के दौरान हल्की सिंचाई करें। समय से बुआई, संतुलित उर्वरक के प्रयोग और रोग नियंत्रण कर, इस फसल से एक हेक्टेअर में 25 से 30 कुंतल उत्पादन ले सकते हैं।
मध्य अक्टूबर की खेती अधिक लाभकारी
अगैती बुआई (मध्य अक्टूबर) लाभकारी है। ऐसा करने से फसल को क्षति पहुंचाने वाले माहू कीट के प्रकोप की संभावना कम होती है। प्रति हेक्टेअर 5-6 किग्रा बीज पर्याप्त है। बुआई के पूर्व बीजशोधन करें। एक किग्रा बीज को 2.5 ग्राम थीरम और 1.5 ग्राम मैटालिक्स से शोधित करें। सफेद गेरुई तथा तुलसिता रोग नहीं होगा।
ऐसे करें खेत की तैयारी
2-3 सामान्य जुताई करें। रोटावेटर की एक जुताई में भी खेत तैयार हो जाएगा। नमी जांचे और अगर नमी कम है तो पलेवा लगाने के बाद बुवाई करें। बेहतर जमाव होगा। मिट्टी जांच के बाद उर्वरकों का प्रयोग करें। इससे अनावश्यक दी जाने वो उर्वरकों से बचा जा सकेगा। लागत भी कम होगी।
क्या हो उर्वरक की मात्रा
सामान्य तौर पर एक हेक्टेअर के लिए 120 किग्रा नाइट्रोजन और 40-40 किग्रा पोटाश व फास्फेट पर्याप्त है। फास्फोरस का प्रयोग सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) के रूप में बेहतर होगा। बेहतर उपज के लिए एक हेक्टेअर में 40 किग्रा गंधक अलग से डालें। लेकिन यह तक करें जब एसएसपी का प्रयोग न किया गया हो। नाइट्रोजन की आधी और अन्य उर्वरकों की पूरी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय डालें। शेष नाइट्रोजन माह भर बाद होने वाली पहली सिंचाई में दें।
उन्नत प्रजातियां
नरेंद्र राई, कांती, उर्वशी, माया, वैभव, आशीर्वाद, वरुणा या टी 59, बसंती, रोहिणी, वरदान, कृष्णा व पूसा बोल्ड प्रमुख प्रजातियां हैं। कुछ निजी कंपनियों के बीज भी बेहतर उपज देने वाली बताई जा रहीं हैं।
बेहतर बाजार भाव मिलने की उम्मीद
पिछले सीजन में बेमौसम बारिश और ओले से फसल खराब हुई है। इस वजह से तक सात महीने के भीतर सरसों तेल के दाम में तकरीबन 45 फीसदी की उछाल आई है। ऐसे में उन किसानों को लाभ मिलने की ज्यादा संभावनाएं हैं जिनकी फसल पहले तैयार हागी।
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