अंगूर एक फल
है। अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है। अंगूर फल मां के दूघ के
समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल,
स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। ये अंगूर की बेलों पर
बड़े-बड़े गुच्छों में उगता है। अंगूर सीधे खाया भी जा सकता है, या फिर
उससे अंगूरी शराब भी बनायी जा सकती है, जिसे अंग्रेज़ी में en:wine कहते हैं, यह अंगूर के रस का ख़मीरीकरण करके बनायी जाती है।
लाभ ;
अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है। अंगूर फल मां के दूघ के समान
पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल,
स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऎसे रोग हैं
जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा
सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह स्पर
को शुद्ध बनाता है तथा आँखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त
साफ करने वाला, रक्त बढाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल,
शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट,
मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता
को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है। ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने
चाहिएं। अंगूर के सेवन से फेफडों मे जमा कफ निकल जाता है, इससे खाँसी में
भी आराम आता है। अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में
भी लाभदायक है। श्वास रोग व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है।
नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रूकावट में भी हितकर है। अंगूर का शरबत तो
""अमृत तुल्य"" है। शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक
गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया
जा सकता है जिसकी कि रक्तस्राव के समय क्षति हुई है। अंगूर का गूदा "
ग्लूकोज व शर्करा युक्त " होता है। विटामिन "ए" पर्याप्त मात्रा में होने
से अंगूर का सेवन " भूख " बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों
एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले)
अंगूर का रस "एसप्रिन" की गोली के समान कारगर है। "एसप्रिन" खून के थक्के
नहीं बनने देती है। बैंगनी (काले) अंगूर के रस में " फलोवोनाइडस " नामक
तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। पोटेशियम की कमी से बाल बहुत
टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों
में दर्द व जकडन होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। अंगूर
फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। अंगूर के रस के
गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। एनीमिया में
अंगूर से बढकर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोडा
नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25
अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में
थोडी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए।
इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर
निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। अंगूर के सेवन से हडि्डयाँ मजबूत
होती हैं। अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से
गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस
पीने से खून बढता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों
से छुटकारा मिलता है। अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर
बंद हो जाती है।
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