चीकू (वानस्पतिक नाम : Manilkara zapota) फल का एक प्रकार हैं।
चीकू मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।
बोने की विधि Seeding Method
• चीकू की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है, परन्तु गहरी, उपजाऊ तथा बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए बहुत अच्छी मानी जाती है।
• इसकी खेती के लिए गर्म व नम मौसम की आवश्यकता होती है।
• गर्मी में इसके लिए उचित पानी की व्यवस्था का होनी भी आवश्यक है।
• जुलाई से सितम्बर तक चीकू के पौधे लगाये जाते हैं।
• रूड़ी की खाद 40 किलोग्राम प्रति पेड़ हर साल दिसम्बर-जनवरी में डालनी चाहिए । सुपरफास्फेट व पोटाश की पूरी मात्रा भी डालनी चाहिए ।
• नत्रजन की आधी मात्रा फरवरी में तथा बाकि बची आधी मात्रा जुलाई-अगस्त में डालनी चाहिए ।
• चीकू कुछ सीमा तक सूखे की स्थिति को सहन कर लेता है फिर भी अच्छी फसल के लिए सिंचाई जरुरी है।
• छोटे पौधों को 6 से 12 दिन के अन्तर पर सर्दियों से गर्मियों तक सिंचाई करनी चाहिए , परन्तु वर्षा के समय अधिक दिनों के अन्तर पर आवश्यकतानुसार ही सिंचाई करनी चाहिए ।
• चीकू का पेड़ तीन चार साल बाद फल देने लग जाता है। जो फल गर्मी में तैयार होते हैं वह अधिक मीठे होते है।
चीकू मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।
गुण ;
चीकू शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। इसमें शर्करा का अंश ज़्यादा होता है। यह पचने में भारी होता है। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता हैखेती व प्रयोग ;
चीकू का प्रयोग खाने के साथ जैम, व जैली आदि बनाने में किया जाता है। इसकी खेती हरियाणा के पूर्वी क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जाती है।
cheeku

• चीकू की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है, परन्तु गहरी, उपजाऊ तथा बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए बहुत अच्छी मानी जाती है।
• इसकी खेती के लिए गर्म व नम मौसम की आवश्यकता होती है।
• गर्मी में इसके लिए उचित पानी की व्यवस्था का होनी भी आवश्यक है।
• जुलाई से सितम्बर तक चीकू के पौधे लगाये जाते हैं।
• रूड़ी की खाद 40 किलोग्राम प्रति पेड़ हर साल दिसम्बर-जनवरी में डालनी चाहिए । सुपरफास्फेट व पोटाश की पूरी मात्रा भी डालनी चाहिए ।
• नत्रजन की आधी मात्रा फरवरी में तथा बाकि बची आधी मात्रा जुलाई-अगस्त में डालनी चाहिए ।
• चीकू कुछ सीमा तक सूखे की स्थिति को सहन कर लेता है फिर भी अच्छी फसल के लिए सिंचाई जरुरी है।
• छोटे पौधों को 6 से 12 दिन के अन्तर पर सर्दियों से गर्मियों तक सिंचाई करनी चाहिए , परन्तु वर्षा के समय अधिक दिनों के अन्तर पर आवश्यकतानुसार ही सिंचाई करनी चाहिए ।
• चीकू का पेड़ तीन चार साल बाद फल देने लग जाता है। जो फल गर्मी में तैयार होते हैं वह अधिक मीठे होते है।
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