Sunday, 18 October 2015

किसानों के जीवन का आधार - सहकारिता


इसमें अल्पकालीन कृषि साख सहकारी संस्थाओं को पुनर्जीवन, पैकेज के अन्तर्गत 2567 करोड़ से अधिक की राशि प्राप्त होगी। इसमें प्राथमिक सहकारी साख समितियों को 2019 करोड़ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों को 305 करोड़ तथा मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंकों को 243 करोड़ की सहायता प्रदान की जावेगी। इस राशि में से 2136 करोड़ रूपये की राशि भारत शासन, 383.27 करोड़ रूपये राज्य शासन तथा 47.74 करोड़ रूपये सहकारी संस्थाओं को वहन करना है। प्रदेश शासन ने वर्ष 2006-07 के वार्षिक बजट में वित्तीय प्रावधान कर दिया है तथा इसमें हानि की भरपाई का शासन के अनुपूरक बजट में प्रावधान कर दिया गया है।

सहकारिता- किसानों के जीवन का आधार है किसी भी समाज की प्रगति सभी संभव है, जब वहां के लोग स्वयं का परिश्रम, बुध्दि कौशल, कार्य को सहयोग की भावना से पूर्ण मनोयोग से सतत करने को उद्यत रहते हैं। सहकारिता इसके लिए पूर्ण अवसर प्रदान करती है। भारत में सहकारी आन्दोलन के स्वरूप को उभरे हुए एक शताब्दी पूर्ण हो चुकी है। सहकारिता के मूल उद्देश्यों की भावना के अनुरूप वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश में नई सरकार के गठन के साथ सहकारिता के शुध्दिकरण के अभियान के तहत सदस्यों की भावना के अनुरूप आत्मनिर्भर सहकारिता के लिए जो प्रयास प्रारंभ किए गए थे उनके परिणाम परिलक्षित होने लगे हैं तथा प्रदेश में सहकारी क्षेत्र की उपलब्धियाँ सहकारिता की भावना को सुदृढ़ बना रही है।
देश की अल्पकालीन साख सहकारी संस्थाओं के आर्थिक सुदृढ़ीकरण की योजना के अंतर्गत प्रदेश की प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के आर्थिक पुर्नजीवन के लिए प्रो. वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसाओं को क्रियान्वित करने के लिए 7 नवम्बर, 2006 को प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, सहकारिता खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री गोपाल भार्गव के समक्ष भारत शासन, मध्यप्रदेश शासन तथा नाबार्ड के मध्य अनुबंध निष्पादित हुआ, जिसमें नाबार्ड की ओर से प्रबंध संचालक, डॉ. के.जी. करमाकर तथा प्रदेश सरकार की ओर से सहकारिता सचिव श्री प्रवेश शर्मा ने हस्ताक्षर किए।
इस प्रक्रिया से सहकारी संस्थाओं में सहकारी नियंत्रण की कमी होगी तथा उनकी लोकतंत्रीय नियंत्रण की कमी होगी तथा उनकी लोक तंत्रीय व्यवस्था बहाल होगी। इसके लिए मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 में संशोधन किए जा रहे हैं। इससे प्रदेश की अल्पकालीन कृषि सहकारी साख संस्थाएँ और मजबूत होकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल होगी।
मध्यप्रदेश में किसानों को सहकारी ऋण अब 16.5 प्रतिशत के स्थान पर 7 प्रतिशत पर दिए जाने का सरकार ने निर्णय ले लिया है। वर्ष 2006-07 में प्राथमिक कृषि साख समितियों के माध्यम से कृषकों अल्पकलीन कृषि ऋण के लिए जिला बैंक वार कार्यक्रम के अनुसार खरीफ 2006 में 1700 करोड़ तथा 2006-07 प्राथमिक कृषि साख समितियों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन कृषि ऋण के लिए जिला बैंक वार कार्यक्रम के अनुसार खरीफ 2006 में 1700 करोड़ तथा रबी 2006-07 में 850 करोड़ कुल 2550 करोड़ का ऋण वितरण किया जा रहा है। खरीफ 2006 में 29 सितम्बर तक 1642 करोड़ 39 लाख का ऋण वितरित किया जा चुका है तथा दस लाख के कृषि ऋण पर स्टाम्प डयूटी समाप्त की गई है, किसानों को नोडयूज प्रमाण पत्र लाने के झंझट से मुक्ति प्रदान की गई है। प्रदेश में 74 प्रतिशत किसान क्रेडिट कार्ड सहकारी क्षेत्रों से वितरित किये गए हैं। 26 लाख 25 हजार किसानों को क्रेडिट कार्ड जारी किये गये हैं तथा 2.5 लाख किसानों को क्रेडिट कार्ड प्रदान करने का अतिरिक्त लक्ष्य रखा गया है।
सहकारिता आन्दोलन में राजनीतिक हस्तक्षेप की समाप्ति प्रशासनिक स्वच्छता की दृष्टि से मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 में महत्वपूर्ण संशोधन किए गये हैं। अब विधायक, सांसद पदाधिकारी नहीं हो सकेंगे। ग्यारह वर्ष या उससे अधिक समय तक कोई अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद पर नहीं रहेगा। इससे अधिकार की समाप्ति हो जावेगी। अब संस्था का मुख्य कार्यपालक अध्यक्ष के स्थान पर बोर्ड के प्रति जवावदेह हो गया है। बोर्ड की सदस्य संख्या भी 15 तक सीमित कर दी गई है।
प्रदेश के 38 केन्द्रीय सहकारी बैंकों को 28 बैंक बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट की धारा 11 का पालन न करने के कारण कमजोर श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। वर्तमान में 7 बैंकों को इस श्रेणी से बाहर लाया जाकर उन्हें आर्थिक सक्षमता प्रदान कर दी गई है, शीघ्र ही 3 बैंके भी इस श्रेणी से बाहर आ जायेगी। वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसाओं के क्रियान्वयन के फलस्वरूप सभी 38 बैंकों को सक्षमता प्राप्त हो जावेगी। प्रदेश के किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाने की दष्टि से समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्य सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। वर्ष 2004-05 में 4 लाख 69 हजार 486 टन चना और 44 हजार 949 मेट्रिक टन सरसों की खरीदी की गई। वर्ष 2005-06 मे सहकारी समितियों के माध्यम से 3 लाख 48 हजार 773 क्विंटल गेहूँ, 92 हजार 006 टन चना तथा एक लाख 908 टन सरसों की सरसों खरीदी गई। प्रदेश में मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बीज उत्पादक एवं विपणन संघ मर्यादित का गठन किया गया। बीज सहकारी समितियों के माध्यम से कृषकों को वर्ष 2005-06 में 4 लाख 70 हजार क्विंटल बीजों का उत्पादन कर वितरण कराया गया।
प्रदेश में राज्य शासन द्वारा राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम से वित्त पोषित 12 नई एकीकृत सहकारी विकास परियोजनायें प्रारम्भ की जा रही है। उक्त योजनाओं के अंतर्गत चयनित जिलों की सहकारी संस्थाओं की अधोसंरचना को मजबूत करने के लिए ऋण अंशपूँजी मार्जिन मनी एवं अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। जिससे रोजगार मूलक योजनाएँ तथा ग्रामोद्योग, कुटीर उद्योग, सामान्य उपभोक्ता सामग्री तथा औद्योगिक उत्पादन को लागू किया जाकर ग्रामीण क्षेत्र में विकास की स्थिति सुनिश्चित की जावेगी। मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ भोपाल द्वारा वर्ष 2005-06 में कुल 56 करोड़ 31 लाख का व्यवसाय किया है जो विगत वर्ष 2004-05 में किए गए व्यवसाय 35 करोड़ की तुलना में58 प्रतिशत अधिक हे। उपभोक्ता संघ ने 42 वर्ष के इतिहास में यह सर्वाधिक व्यवसाय कर लाभ अर्जित किया है।
राज्य शासन द्वारा प्रदेश में कृषि उत्पादन को दुगना किये जाने की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत वर्ष 2004-05 में अल्पकालीन ऋण की राशि 1763 करोड़ रुपए वितरित किए गये, जो पूर्व वर्ष की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक थे। वर्ष 2005-06 में 2006-25 करोड़ रुपए के अल्पकालीन ऋण वितरित किये गये जो आधार वर्ष की तुलना में 57.48 प्रतिशत अधिक थे। आगामी तीन वर्ष की निर्धारित कालावधि में प्रतिवर्ष दुगने से अधिक कृषि ऋण सहकारिता के माध्यम से वितरित किया जायेगा। सहकारिता मंत्री एवं अपैक्स बैंक के अध्यक्ष श्री गोपाल भार्गव के मार्गदर्शन में सहकारी साख संस्थाओं की शीर्ष संस्था अपेक्स बैंक ने वर्ष 2005-06 में 58 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित सहकारी क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया है।
गत वर्ष यह लाभ 14 करोड़ 82 लाख रूपए था। जिसमें 43.18 करोड़ रुपए की वृध्दि के साथ 288 प्रतिशत की रिकार्ड बढ़ोत्तरी कीगई । गत तीन वर्षों में सहकारिता के क्षेत्र में चलाए गए वित्तीय अनुशासन से कई वित्तीय मानदंड स्थापित हुए हैं, वहीं सहकारी बैंकों की स्थिति में व्यापक सुधार परिलक्षित हुआ है। सहकारी क्षेत्र को सुदृढ बनाने के प्रयासों से बैंक की डिपाजिट लागत में इस वर्ष 2 प्रतिशत की कमी आई जिसके कारण सहकारी बैंक में लाभ की स्थिति बनी। राज्य सहकारी बैंक कोष में 27 प्रतिशत अमानतों में 10 प्रतिशत, ऋण वितरण में 15 प्रतिशत और विनियोजन में 18 प्रतिशत की वृध्दि इस वर्ष दर्ज की गई है। यह वृध्दि पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक है।
प्रदेश में सहकारी आन्दोलन को मजबूत बनाने के प्रयासों की मंशा के तहत कार्यशील पूंजी में वित्तीय लागत को भी कम किया गया है, यह लागत वर्ष 2003-04 में 6.02 प्रतिशत थी जो अब घटकर 4.8 प्रतिशत हो गई है। सहकारी क्षेत्र में बेहतर काम के वातावरण निर्मित किए जाने से प्रति कर्मचारी उत्पादकता में भी बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2003-04 में यह उत्पादकता 4.79 करोड़ रुपए थी जो अब बढ़कर 5.27 करोड़ रुपए हो गई है। यह वृध्दि अधिकांशत: राष्ट्रीयकृत बैंकों से बेहतर आंकी गई है। कुशल वित्तीय प्रबंधन से प्राप्त सफलताओं को देखते हुए आगामी वर्ष में अपेक्स बैंक किसान हितैषी बेहतर ऋण एवं अमानत योजनाएं बनाने पर विचार कर रहा है, ताकि सहकारी संस्थाएं बाजार की स्पर्धा में बेहतर बैंकिंग सेवा उपभोक्ताओं को दे सके। किसानों की सुविधा के लिए सहकारी क्षेत्र की बैंकों में ए.टी.एम. सुविधा प्रारंभ की गई है। अपेक्स बैंक की प्रथम ए.टी.एम. का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 53वें अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह के दौरान 19 नवंबर 2006 को किया गया। राज्य सरकार सहकारी क्षेत्र को सही दिशा और दृष्टि देने में सफल रही है। इससे आगामी वर्षों में सहकारी बैंके व्यवसायिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के मुकाबले बाजार में स्थापित होकर किसानों के हित में कार्य कर सकेंगी।

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