इसके अंतर्गत अधिकतम चार कक्षों या निजी संग्रहालयों और गैलरी के निर्माण के लिए भी यह धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। तैयार कराई गई इन इकाइयों को पेइंग गेस्ट योजना के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा तथा इन्हें कम से कम पांच वर्षों तक चालू रखना भी अनिवार्य होगा। महानिदेशक पर्यटन अमृत अभिजात के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के गांवों को करीब से देखने की विदशी पर्यटकों की इस चाहत को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण पर्यटन नीति तैयार की है। अभिजात ने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए मूलभूत अवस्थापना विकास की वृहद योजना तैयार की गई है, जिसके तहत हर वर्ष तीन गांवों का विकास किया जाएगा।
महानिदेशक ने बताया कि ग्रामीण पर्यटन की दृष्टि से राज्य में ऐसे गांवों को चिह्निïत किया जाएगा, जहां पर्यटन की अपार संभावनाएं उपलब्ध हों। इसमें उन गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो स्वयं के संसाधनों से युक्त हों, जैसे- सांसद, विधायक निधि, ग्राम विकास योजना से प्राप्त धनराशि से उस गांव का विकास किया गया हो। चयनित गांव के पर्यटन विकास के लिए राज्य सरकार एक करोड़ रुपये देगी। विशेष परिस्थिति में जिलाधिकारी, क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी तथा ग्राम प्रधान की अनुशंसा के आधार पर इस योजना को अधिकतम दो वर्षों में पूरा किया जाएगा। योजना की लागत का अधिकतम 10 प्रतिशत कौशल विकास तथा ग्राम स्तर पर गाइड प्रशिक्षण एवं उपकरणों पर खर्च किया जाएगा।
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