कार्यप्रणाली
पानी और पोषक तत्व उत्ससर्जक से, पौधों की जड़ क्षेत्र में से चलते हुए गुरुत्वाकर्षण और केशिका के संयुक्त बलों के माध्यम से मिट्टी में जाते हैं। इस प्रकार, पौधों की नमी और पोषक तत्वों की कमी को तुरंत ही पुन: प्राप्त। किया जा सकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि पौधे में पानी की कमी नहीं होगी, इस प्रकार गुणवत्ता, उसके इष्टतम विकास की क्षमता तथा उच्च पैदावार को बढ़ाता है।ड्रिप सिंचाई आज की जरूरत है, क्योंकि प्रकृति की ओर से मानव जाति को उपहार के रूप में मिली जल असीमित एवं मुफ्त रूप से उपलब्ध नहीं है। विश्व जल संसाधनो में तेजी से ह्रास हो रहा है।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लाभ
ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लाभ- पैदावार में 150 प्रतिशत तक वृद्धि
- बाढ़ सिंचाई की तुलना में 70 प्रतिशत तक पानी की बचत। अधिक भूमि को इस तरह बचाये गये पानी के साथ सिंचित किया जा सकता है।
- फसल लगातार,स्वस्थ रूप से बढ़ती है और जल्दी परिपक्व होती है।
- शीघ्र परिपक्वता से उच्च और तेजी से निवेश की वापसी प्राप्त् होती है।
- उर्वरक उपयोग की क्षमता 30 प्रतिशत बढ़ जाती है।
- उर्वरक, अंतर संवर्धन और श्रम का मूल्य कम हो जाता है।
- उर्वरक लघु सिंचाई प्रणाली के माध्यम से और रसायन उपचार दिया जा सकता है।
- बंजर क्षेत्र,नमकीन, रेतीली एवं पहाड़ी भूमि भी उपजाऊ खेती के अधीन लाया जा सकता है।
छिड़काव सिंचाई प्रणाली
फव्वाबरे छोटे से बड़े क्षेत्रों को कुशलता से कवरेज प्रदान करते हैं तथा सभी प्रकार की संपत्तियों पर उपयोग के लिए उपयुक्त हैं। यह लगभग सभी सिंचाई वाली मिट्टियों के लिये अनुकूल है क्योंपकि फव्वाकरें विस्तृत विसर्जन क्षमता में उपलब्ध हैं ।
लगभग सभी फसलों के लिए उपयुक्त है जैसे गेहूं, चना, दाल के साथ सब्जियों, कपास, सोयाबीन, चाय, कॉफी, और अन्य चारा फसलें ।
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